जैसा की आप लोग जानते होंगे हमारे देश में 2 प्रकार के टैक्स होते है। पहला डायरेक्ट टैक्स (Direct Tax) जैसे की प्रॉपर्टी टैक्स और इनकम टैक्स, और दूसरा इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect Tax) जैसे जी एस टी (G S T)। आप इनडायरेक्ट टैक्स को नहीं बचा सकते क्योंकि जब आप कोई सामान खरीदते हो तब टैक्स उस सामान के मूल्य में जुड़ा होता है, और आपको पता भी नहीं चलता की आपने टैक्स भरा है। परंतु डायरेक्ट टैक्स के मामले में ऐसा नहीं होता। डायरेक्ट टैक्स आपको अपने इनकम और प्रॉपर्टी पर भरना पड़ता है। आप प्रॉपर्टी टैक्स से तो नहीं बच सकते परंतु ऐसे बहुत सारे तरीके है जिससे आप अपना इनकम टैक्स बचा सकते है, वह भी कानूनी तरीके से। इस लेख के माध्यम से हम आपको टैक्स बचाने के आसान उपाय बताएंगे।
1. मेडिकल इंश्योरेंस – Medical Insurance
इनकम टैक्स ऐक्ट 1961 के सेक्शन 80D के अंतर्गत आपको अपने मेडिकल इंश्योरेंस में भरे जाने वाले प्रीमियम पर ₹25,000 तक के टैक्स की छूट मिलती है। अगर आप सीनियर सिटीजन के सूची में आते हैं, यानि की आपकी आयु 60 वर्ष से अधिक है तो यह राशि बढ़ कर ₹50,000 तक हो जाती है।
मेडिकल इंश्योरेंस के फायदे:
- आपका टैक्स बचेगा
- अगर आपको कोई बीमारी हो जाती है तो उसमें लगने वाले पैसे भी बच जाते हैं।
2. पीपीएफ (पब्लिक प्रोविडेंड फंड) – PPF (Public Provident Fund)
इनकम टैक्स ऐक्ट 1961 के सेक्शन 80C के अंतर्गत अगर आप अपने पैसे पीपीएफ में जमा करते हैं तो एक साल के अंदर ₹1.5 लाख तक आपको कोई टैक्स नहीं भरना पड़ता और आपको अपने पैसे पर 7.5% से 8% तक व्याज भी मिलता है। पीपीएफ से मिलने वाले व्याज पर भी कोई टैक्स नहीं देना पड़ता, और यह तक की 15 साल बाद जब आपकी पीपीएफ मेच्योर होगी तक आपको जो राशि मिलेगा वह भी 100% टैक्स फ्री होता है।
पीपीएफ के फायदे:
- आपके पैसे सुरक्षित होते हैं, इसमें रिस्क बहुत कम होता है।
- इसका व्याज सेविंग अकाउंट से ज्यादा होता है।
- यह आपके बहुत सारे टैक्स बचाता है।
3. ईपीएफ (एम्प्लॉय प्रोविडेंड फंड) – EPF (Employee Provident Fund)
इनकम टैक्स ऐक्ट 1961 के सेक्शन 80C के अंतर्गत अगर आप अपने पैसे ईपीएफ में जमा करते हैं तो आपको ₹1.5 लाख तक का टैक्स डेडक्शन मिलता है। अगर कोई एम्प्लॉय ईपीएफ में निवेश करता है तो उसको एक साल के अंदर ₹7.5 लाख तक टैक्स फ्री होता है।
ईपीएफ के फायदे:
- एक एम्प्लॉय को अपने तनख्वाह का 12% जमा करना होता है और कंपनी अपने तरफ से बाकी का 12% भर देती है।
- इसका मैच्योरिटी पीरियड 15 साल का होता है परंतु अगर किसीको जरूरी है तो वह 5 साल में भी अपने पैसे निकाल सकता है।
- इसमें भी सेविंग अकाउंट से ज्यादा व्याज मिलता है।
- इसके रिटर्न पर सिर्फ 10% टैक्स लगता है जिसे long term capital gain tax कहते हैं।
4. होम लोन – Home Loan
अगर आपने होम लोन ले रखा है तो इनकम टैक्स ऐक्ट 1961 के सेक्शन 80C के अंतर्गत आपको सालाना ₹1.5 लाख तक लोन के ईएमआई पर टैक्स नहीं भरना होगा।
निष्कर्ष – Conclusion
आज के इस जमाने में जहां महंगाई आसमान छू रही है, वहां पर आप ये कुछ तरीकों का इस्तेमाल करके अपने आय का उपयोग अपने तरक्की के लिए कर सकते हैं।
FAQs
1. पीपीएफ में हम कितने प्रतिशत तक टैक्स बचा सकते हैं?
पीपीएफ में अगर आप साल का ₹1.5 लाख तक निवेश करते हैं तो आपको पीपीएफ पूरा 100% फ्री होगा।
2. पीपीएफ और ईपीएफ में क्या फर्क होता है?
पीपीएफ यानि की पब्लिक प्रॉविडेंड फंड जहां पर आप अपने पैसे सरकार को देते हैं और सरकार आपके पैसे निवेश करती है। और ईपीएफ यानि की एम्प्लॉय प्रोविडेंड फंड जिसमें आप अपने पैसे अपने कंपनी को देते हैं और आपकी कंपनी अपने बदले आपके पैसे निवेश करती है।
3. क्या यह तरीके कानूनी हैं?
पीपीएफ, ईपीएफ, होम लोन आदि में जो आपका टैक्स बचता है वह 100% कानूनी है। यह सब तरीके सरकार ने स्वयं बनाए हैं ताकि लोग इन्वेस्टमेंट के तरफ प्रोत्साहित हो और ज्यादा से ज्यादा इन्वेस्टमेंट करें।
4. क्या टैक्स बचाने का कोई और तरीका है?
टैक्स बचाने के बहुत से तरीके हैं उनमें से एक है की आप अपने इनकम में से कुछ हिस्से डोनेशन के रूप में दान कर दें। डोनेशन किए हुए पैसे पर भी टैक्स नहीं लगता।
5. किस देश में सबसे कम टैक्स लगता है?
United Arab Emirates, Singapore यह कुछ ऐसे देश हैं जहां का टैक्स बहुत कम है और दूसरी भाषा में कहें तो ना के बराबर है।